Wafadar Hain Hum

वफ़ादार हैं हम

एक दूसरे पर भेजें लानत तो वफादार है हम,
जो करें हम मोहब्बत की बातें तो ग़द्दार ठहरे।

फ़नकार भी क्या दर-ओ-दीवार से रुका है कभी,
देखी है सुरों की आवाज़ बेसुरी हो जाए इस पार,

छोड़ो सियासत की बातें आओं ग़म बााँटते हैं,
कुछ तुम कहो आओं कुछ हम अपनी सुनाते हैं,

वीरां हो गया है दिल ‘इश्क़ से’ इस सियासत में,
क़लम की जग़ह परचम है हाथों में नौजवानों के,

मुल्क परश्तिश की दलीलें मांगे है ज़माना “अमीर”,
जागीर तेरी-मेरी शराब है, चल मैखाने में बात करते हैं. 

 

 

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