दिल को देने तसल्ली ये बात अच्छी है

दिल को देने तसल्ली ये बात अच्छी है, हक़ीक़त से रूबरू तुम अब भी ना हुए ये बात सच्ची है, हैं कई वाकिये वफ़ाओं के दिल में जज़्ब मेंरे भी मग़र, वफ़ादार तुम ही थे अकेले ये बात भी चलो सच्ची है, जाने तुमने क्या देखा था मुझमें मेरी मोहब्बत को छोड़कर, हर इल्ज़ाम हरContinue reading “दिल को देने तसल्ली ये बात अच्छी है”

पत्थरों की बस्ती से…

पत्थरों की बस्ती से निकल आये थे तुम बिना चोट खाये,इंसानों की बस्ती में मिलते हैं “अमीर” ये संजीदा ज़ख़्म।#अमीरहाशमी की कलम से… Pattharo ki basti se nikal aaye the tum bina chot khaye,Insaano ki basti me milte hain “amir” yeh sanjeeda zakhm.#amirhashmi ki kalam se….