#MainKisanBolRahaHu
In India, Everyday minimum 35 farmers are committing to suicide, due to bank loans, un-authorized land mafia’s land captures, A Voice of Farmers who protesting peacefully for there basic rights.
Written & Narrated by: Amir Hashmi
मैं किसान बोल रहा हूँ
छलनी हूँ गोलियों से, मगर बोल रहा हूँ,
मैं किसान बोल रहा हूँ…
ना सुनता मैं अपनी, ना मैं गैरों का कहा मान रहा हूँ…
मैं किसान बोल रहा हूँ…
खेत है ही है मेरा सबकुछ, मैं उसे भी हार रहा हूँ,
मैं किसान बोल रहा हूँ…
मुझपर की है हुकूमत सरकारों ने मगर,
मैं तुग़लक़, मैं अशोका, मैं अंगरेज़ तो क्या, मैं अक़बर पर भारी पड़ा हूँ,
मैं किसान बोल रहा हूँ…
मुझसे जो मांगे है मेरी ही ज़मीन, अरे काले अँगरेज़ सुन…
मैं आज़ाद हूँ, मैं हूँ भगत, मैं ही हूँ गाँधी,
मैं हूँ कलाम, मैं शास्त्री बोल रहा हूँ….
मैं किसान बोल रहा हूँ….
रहम की भीख मंगवाये है हमसे, तू खोले है दरबार अपने महलों पर,
अरे ढोंगी बाबा सुन, मैं ईशवर का खुद हूँ फ़रिश्ता, बोले है राम मेरे कंठ से मैं पापियों को देख रहा हूँ,
मैं किसान बोल रहा हूँ…
कब्ज़े में है भूमि हज़ारों मील की आश्रम, मंदिर, मस्जिद, देवालयों की मगर,
तेरे विकास का हर फूल मेरी ही छाती पर बोता देख रहा हूँ,
मैं किसान बोल रहा हूँ…
क्यूँ बांटे है मुझे कभी इस पाले, कभी उस पाले में धर्म और पगड़ी के नाम पर,
मेरा धर्म है है अन्न, मेरी जाति है मिट्टी, मेरा मज़हब है हल, मैं यही बोल रहा हूँ,
मैं किसान बोल रहा हूँ….