क्यूँ ऐसा होता है
क्यूँ ऐसा होता है, क्यूँ ऐसा होता है,
क्यूँ दिल ये रोता है, क्यूँ ऐसा होता है
राख्न हुए सपने है, मंज़र ये बदले बदले है,
कैसा ये इंसाफ़ है, सज़ा कैसी, कैसा राज़ है
निगाहें ये पूछे तुझसे, ऐ मेरे ख़ुदा…
आरज़ू टूटी-टूटी है, टूटा मेरा आशियाँ है,
खुशियों से भरा था जो, ख़ुदा जानें क्यूँ वो रूठा है,
परेशां से तेरे बन्दों की, बस ये है सदा…
ज़ख्म मेरा कह रहा है, दर्द की ये दास्ताँ है,
जिस्म से जो छीन ली है, वो साँसे अब कहां है,
बेजुबां की ये कहानी, ऐ ख़ुदा अब इंतेहा है….