तारीफों के पुल के नीचे,मतलब की नदियाँ बहती हैं। – अमीर हाशमी
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अक़्सर उसकी तलाश में निकल पड़ता हूँ
अक़्सर उसकी तलाश में निकल पड़ता हूँ,एक ख़ुशबू सी आती है हिन्दोस्तान की मिट्टी से.
मोहब्बत कभी ख़त्म नहीं होती
मोहब्बत कभी ख़त्म नहीं होती,बस बाबू बदल जाते हैं.