रचनाकार ने सरल और सहज शब्दों में सृजन कर फोटोग्राफी के मध्यांतर संबंधों को रोचक ढंग से प्रतिपादित किया है। यही इसकी मुख्य विशेषता है। यह उम्दा व भावप्रधान रचनाओं से परिपूर्ण है। इस कहानी में लगभग सभी किरदार अपने आप में जीवंत कविताएं हैं, जो हर विषय को छूती हैं। चिंतन और मनन के माध्यम से जो ताना-बाना बुना गया, वह काबिले तारीफ है। उसे बिना लाग-लपेट के सरलता से व्यक्त करना उत्कृष्ट रचनाकार की छवि दिखाता है।
इस कहानी में भूमिका ‘नीतू और अक्षयवट’ का ताना-बाना और शब्द-शब्द अपने आप में अनूठा है। आवरण अति सुन्दर है, जो लगता हैं आनंद बहादुर के अंदर छुपे किसी कलाकार को बयां करता है, जो कहानी के अनुरूप है।
यह कहानी अपने आप में पूर्णता लिए हुए है। कहानी के मूल्यांकन का अधिकार तो पाठकों का ही हैं, इसलिए किसी रेटिंगनुमा तराज़ू में तौलने और कुछ अधिक कहने से बेहतर मैं इसे पढ़ने और कहानी में डूबकर जीने की सलाह दूंगा।
आनंद को मेरी तरफ़ से असंख्य शुभकामनाएं, आपकी रचनाओं का हमेशा मुन्तज़िर.
आपका, अमीर हाशमी

आनंद बहादुर वरिष्ठ, कवि कथाकार हैं। पिछले चार दशक से उनकी कहानियां,कविताएं, गज़ल, अनुवाद और लेख देश की प्रमुख हिन्दी पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होते रहे हैं। साहित्य के साथ उनकी रुचि संगीत में भी है।
पढ़ें उनकी कहानीः “फोटोग्राफर्स डिलाइट – आनन्दबहादुर” जो इस लिंक पर उपलब्ध: http://vikalpvimarsh.in/?p=3609