सन् 1931 में लंदन की सड़कों पर कड़कड़ाती सर्दी में अपने जर्जर शरीर को अपने हाथों से काते गये सूत से बनी खादी से ढके पैरों में मामूली चप्पल पहने अदम्य साहस और उत्साह से भरा हुआ अपने द्वारा गढ़े गये सिद्धांतों को अपने आचरण में जीता हुआ अजानबाहु अपने चिरपरिचित लंबे कदम भरते हुए भारत के संवैधानिक सुधारों के संदर्भ में होने वाली उस कान्फ्रेस में हिस्सा लेने के लिए बढ़ा चला जा रहा है…. हो सके तो इस तस्वीर पर दो पल ठहर कर सोंचियेगा और गर्व महसूस कीजिएगा आप उस देश में निवास करते हैं जहां मोहनदास करमचंद गांधी पैदा हुए थे।

बापू मेरे हमेशा से ही मार्गदर्शन के रूप में रहे हैं, बचपन में स्कूलों में, फिल्मों में दिखाए गए पुलिस-स्टेशनों में जब बापू की तस्वीर देखता तो समझ नहीं आता था कि ऐसा क्यूँ? बापू कि फोटो को नोटों पर लगाने का क्या मतलब है? इन प्रश्नों को मैंने कभी किसी से जानने कि कोशिश नहीं की, क्यूँ? क्यूंकि मुझे पता था कि मैं एक-न-एक दिन इन सारे प्रश्नों का हाल जरूर निकाल लूंगा!
बापू को भला-बुरा कहने से पहले उनको पढ़िएगा, उनको जानियेगा। भारत लोकतांत्रिक है कितने आये और कितने गए मगर आपके अधिकारों को आपसे छीनने की हिम्मत यहाँ किसी में नहीं, आप कुछ भी बोल सकते हैं, आपको कोई टोकने वाला नहीं। फिर भी जितने समय मिल सकें उतने में ही कभी गांधी को पढ़िएगा।
भारत से किसी दूसरे देश में जाने वालों को लोग गांधी के घर वाला कहते हैं, दुनिया के हर कोने में लोग हमें गांधी जी के नाम से जानते-पहचानते हैं। आज दुनियाँ के बहुत से देश बापू का स्मरण कर सत्य और अहिंसा की सही परिभाषा समझने का प्रयास कर रहें हैं।
आज भी बापू को पढ़ते हुये शब्दों की सही व्याख्या नहीं होने से मन व्याकुल हो उठता हैं काश की मेरी चमक-धमक से भरी जिंदगी में लगता हैं कि पास बिठाकर बापू की बातें करें,
बापू को पढ़कर मेरा जीवन काफी बदला हैं, मैंने शायद जान लिया हैं कि अहिंसा क्या हैं, सत्य क्या हैं, बापू के प्रकृति प्रेम से प्रेरणा लेकर “बोलती नदी” नाम से एक नदी सुरक्षा का जागरूकता अभियान मैंने शुरू किया, बापू की पर्यावरण को लेकर क्या सोच थी, उनका बताया रास्ता इस मार्ग में क्या हैं, मैं और जानना चाहता हूँ। इस ख़ून और नफ़रत से भरी दुनियाँ को मुहब्बत के रंगों से भिगा देना चाहता हूँ.
– अमीर हाशमी
amirhashmi.com/boltinadi
बहुत सुंदर प्रस्तुति
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बापू जी
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