माहात्मा गांधी प्रिय बापू जिन्हें अपना गुरु कहते थे, जिनके कंडेल सत्याग्रह मॉडल पर बापू ने अनेक अत्याग्रह किये उस स्वतंत्रता सेनानी बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव जी की स्मृतियों को संरक्षित करने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र
स्वतंत्रता सेनानी बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव जी का नाम छत्तीसगढ़ के इतिहास का स्वर्णिम नाम हैं, उनके जीवनकाल में धमतरी में उनके निवास के नज़दीक मौजूदा कचहरी चौक, पोस्टऑफिस के सामने उनके द्वारा दान की गयी ज़मीन तथा लाइब्रेरी का निर्माण कराया गया था, यह उनकी दूरदर्शिता थी जिसने सालों तक धमतरी शहर और नज़दीक के ग्रामों के बच्चों को ना केवल अनमोल पुस्तकों के वृहद् संकलन से शिक्षा का मार्ग दिखाया बल्कि शिक्षा का प्रोत्साहन दिया, दशकों से यह लाइब्रेरी शहर वासियों और अनेक छात्र-छात्राओं के लिए सही समय तथा सही जगह पर उपलब्ध रहीं.
किन्तु बीते कुछ वर्षों में नगर निगम की लापरवाही तथा संभवत: स्वतंत्रता सेनानी बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव जी के नाम को धमतरी जिला वासियों के जीवन व् स्मरण से मिटा देने का प्रयास किया गया, धीरे-धीरे लाइब्रेरी की बिल्डिंग पुरानी जर्जर होती चली गयी तथा रंग रोगन से लेकर पार्किंग व्यवस्था तक सब कुछ संकीर्ण होता चला गया, जिसके बाद अंतत: इसे बंद कर दिया गया तथा किसी अन्य गैर-महत्पूर्ण कार्य के लिए किराए पर दे दिया गया. इस प्रकार वर्तमान में स्वतंत्रता सेनानी बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव जी की अंतिम स्मरणीय व प्रेरणादायी लाइब्रेरी का अस्तित्व मिट गया, इतना ही नहीं नई लाइब्रेरी का निर्माण बीच शहर से दूर गुंडरदेही रोड में कराया गया तथा उसका नाम केवल जिला ग्रंथालय रख दिया गया हैं.
छत्तीसगढ़ तथा बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव जी के शहर का रहवासी होने के कारण मेरे लिए यह बेहद दुःखद हैं कि महात्मा गांधी जी, प्रिय बापू जिन्हें अपनी गुरुतुल्य समझते थे, ऐसे स्वतंत्रता सेनानी बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव जी की स्मृतियों के साथ ऐसा दुर्व्यवहार किया गया हैं. अत: आप से सविनम्र निवेदन हैं कि इस प्रेरणादायी, शिक्षाप्रद और स्वतंत्रता सेनानी बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव जी के स्मरण के अमूल्य धरोहर को केवल भवन ना समझते हुए इसके पुनर्निमाण के लिए आवश्यक दिशा निर्देश देने का कष्ट करें तथा नवीन जिला लाइब्रेरी का नाम भी यथासंभव स्वतंत्रता सेनानी बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव जी के नाम पर नामकरण करने की कृपा करें.
– अमीर हाशमी