हिन्दी लिपि में हम लिखते हैं, बोलते उर्दू हैं..!
गाने पंजाबी, कपड़े, गहने और खाना मुगलों से लिया हैं, चाय अंग्रेज दे गए और एक गधा है वो पता नही किसका हैं… जेब में एक रूपया का सिक्का हैं एक डिज़र्वेटिव भिखारी की तलाश हैं, नक्शे हमने ख़ज़ानों के जला दिए हैं, पैर दुखता हैं और सींग निकली हुई है इंसान की, कुत्ते सोचते है कि इंसानों को नगर पालिका वाले ले गए होंगे, चाशनी मीठी ज़हर की तरह होती है मगर कॉफी में ज़हर ही ज़हर हैं, सिगरेट उतना ही धुँआ हैं जहां तक तुम देख पाते हो उसके आगे समंदर हैं, शराब उधार में मिली हैं पीने का शऊर ना हो तो फ़कीर तुमसे बेहतर हैं जो पी सको तो ख़ुदा की ज़बान हो, मुहब्बत का मत पूछना वो अब तक हुई नहीं हैं या हो गई हैं तो ख़बर नहीं हैं, ख़बर होगी भी उन्हें जिन्हें समंदर में नाव अलग दिखती हैं, नाव में बैठना चाहते हो, छोड़ो ज़लील हो जाओ वो बेहतर हैं, मौत नशा हैं तुमने देखा है नशे में शराबी को, अबे वो इश्क़ नहीं है पागलपन हैं, इश्क़ थोड़ा सा होता हैं पूरा तो मौत ले आता हैं, थोड़ा करना भी मगर क्या करना हैं वो तो शराब पीने के बराबर हैं, चूड़ियां देखी हैं वो खनक जाएं तो जन्नत हैं जो टूट जाये तो आरजूओं की कब्र हैं, तेरे बस की नहीं है नज़्म अमीर, छोड़ अभी तुझे इश्क़ होना बाकी हैं।
#अमीरहाशमी
अभी तुझे इश्क़ होना बाकी हैं

बहुत खूब।👍🏻
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