चाणक्य कौन सा तीस मार खां था, सब अपने समय के घोर पापी हैं जिन्होंने ख़ुद का स्वर्णिम इतिहास लिखवा लिया।
सत्य की तलाश है तो मुंशी प्रेमचंद जी, कबीर साहेब, गुरुनानक साहेब, ख्वाजा निवामुद्दीन र.अ., मोईनुद्दीन चिश्ती र.अ., महावीर जी, भगत सिंग, गांधी जी को पढ़िए…!
“समय के सत्यवान तख्त पर नहीं सलाखों के पीछे पाए जाते हैं”
तब भी और आज भी…!