आज तो हद हो गई, मैंने छोटे चाचा को कॉल करके कहां छोटे चाचा आप तो बिरयानी खिला दो, तो बोलने लगे “तुम वही हो बेटा जो बड़े चाचा से पिज़्ज़ा मांग रहें थे” मैं बोला हाँ लेकिन आपको कैसे पता उन्होंने तो फोन ही काट दिया था.
अरे हमको सब पता हैं बेटा, तुम बस बताओ क्या खाओगे…!!!
क़सम से दिल खुश हो गया, मैं बोला पिज़्ज़ा ही खिला दो चाचा और ठीक लगे तो चाय पिला देना, तो छोटे चाचा तो बोले बेटा कल शाम तक आ जाओ, चिंटू-पिंटू को भी ले आना हम इंतेज़ार करेंगे.
हम साला बे सूट-बूट पहिन के अऊ गले मे केजरिए वाला मफलर डाल के निकलेंगे सोच रहें थे तो बेटा पता चला ऊ बड़े चाचा सुबह-सुबह कॉल करके दिल्ली वाले हमारे फूफा जी के दामाद को बिरयानी का दावत खिला-पिला के खतम कर दिए अऊ साला पिन्टूये का दोस्त भी दावत में हमारा पिज़्ज़ा खा लिए।
हम पहुचे तो चाचा हमारे मुँह पे दरवाजे को बन्द कर दिए और बोले बेटा औकात में रहों, शादी जमी नहीं करके तुम्हारे दिल्ली वाले फूफा अपनी लुगाई को छोड़ दिये, नहीं तो तुम्हारे जैसे चार लौंडे होते उनको। हाँ नहीं तो…
अब क्या कहें…साला बिरयानी ना सही बे एक कप चाय तो पिता देते भाई.. बहुत दुर्गतया दिए बे फूफा जी.
नोट: सुना हैं राजनीतिक टीका-टिप्पणी करने से भैंस चुराने वाली धारा लगाके भितरा देते हैं ससुर, देखो भईय्या हम ठहरे शरीफ़ आदमी। हमको हमारा पिज़्ज़ा चाहिए बस, अऊ अब तो चाय भी पियेंगे बुड़बक। हमकों कुछ नहीं पता राजनीति के बारे में भाई। हम चुपचाप #maharashtra में कबड्डी का मैच देख रहें हैं। धोबी पछाड़ के तो क्या कहने भाई साहब.. वैसे भी धोबी का कुत्ता ना घर ना घाट का, ना साला पिज़्ज़ा मिला ना बिरयानी.
#अमीर की बड़बड़