स्त्री को पा लेने के पश्चात् अधिकतर पुरुष ये सोच बैठते हैं कि उन्होंने ‘स्त्री को पा लिया, अब वो उनकी हो गयी’ और धीरे-धीरे उस स्त्री के लिए उनका प्रेम कम होता चला जाता है, एक दिन ऐसा आता है जब ‘मैंने उसे पा लिया, अब वो मेरी ही रहेगी’ जैसी भावनाएं पुरुषों के मन को इस कदर अपनी आगोश में ले लेती हैं कि वो इसके अतिरिक्त कुछ सोच ही नहीं पाते,
लेकिन वो इस सत्य से अक्सर अंजान रह जाते हैं कि एक स्त्री अपने मन, अपनी भावनाएं और अपने प्रेम पर बेहद खूबसूरती से नियंत्रण पा सकती है, जो संवेदनाएं वो इस क्षण अपने भीतर लिए बिलख रही है, जिस प्रेम से अभी उसको वंचित किया जा रहा है, अगले ही क्षण वो अपने प्रेमी को भी उस प्रेम से वंचित कर देती हैं,
एक स्त्री जितनी जल्दी पुरुष के प्रेम में पिघलती चली जाती है उससे भी कम समय में वो अपना प्रेम पुरुष के लिए समाप्त भी कर देती है, और एक वक्त ऐसा आता है जब वो पुराने मार्ग को छोड़ नए मार्ग पर चलना शुरू कर देती है और अगर एक बार स्त्री ने अपनी भावनाओं की राह बदल ली, तो फिर पलटकर देखना उसकी अस्मिता की तौहीन के समान हो जाता है,
स्त्रियां इतनी लालची होती हैं, कि अगर उन्हें प्रेम के बदले में प्रेम न मिले तो वो प्रेम पाने का मार्ग ही बदल लेती हैं, उन्हें चाहत के बदले में चाहत न मिले तो वो क्रूर हो जाती हैं और फिर उनके भीतर की क्रूरता उनसे वो करवाती है जो वो कभी नहीं करना चाहती हैं..उन्हें ये कतई पसंद नहीं होता कि उनकी तकलीफें कोई और उनके लिए चुने ..वो सहनशील केवल अपने द्वारा चयनित तकलीफों के लिए ही होती हैं, यदि कोई दूसरा व्यक्ति उनकी पीड़ा को अपनी कलम से लिखता है तो उनकी क्रूरता का दर्शन सबसे पहले वही करता है….|
Prem ke badly Prem mile na mile itna fark nhi padta Lekin agar unhe Samman na mile to wo jaroor apna rasta Badal leti hai
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