हिंदुस्तान में जन्मे जाने-माने उर्दू लेखक और व्यंगकार *#अमीर_हाशमी* का जन्म 27 जुलाई को छत्तीसगढ़ में हुआ था, पत्रकारों को इनके पैदा होने बड़ा नुक़सान हुआ है। यह मैजूदा वक़्त में व्यंग के ग़ालिब माने जाते है, ऐसा मानना इनका खुदका ही है, आइए, उनकी कुछ व्यंगभरी वनलाइनर्स को एन्जॉय करें :
- “पत्रकारों के लिए सबसे ज़्यादा कुर्बानी पुलिस वालों ने दी है, उनके ख़िलाफ़ रिपोर्ट ना लिखकर”
- पत्रकार की क़लम और पुलिस की रिपोर्टिंग हमेशा जनता के हित में होती हैं, थोड़ा मुस्कुराइए, क्योंकि यह एक उम्दा मज़ाक भी है।
- “पत्रकारिता की दुनियां में आज तक कोई पत्रकार रिश्वत लेता नहीं पकड़ाया गया, क्योंकि इस ख़बर को छापने के लिए भी तो अखबार चाहिए”
- “दुश्मनी के लिहाज़ से दुश्मनों के तीन दर्जे होते है… जो रिश्वत नहीं देता, जो बिल्कुल रिश्वत नहीं देता और शहर का कलाकार”
- “आदमी एक बार पत्रकार हो जाए तो ज़िन्दगीभर पत्रकार ही रहता है… चाहें बाद में वह सच ही क्यूँ ना लिखने लगे”
- “वो ज़हर दे के मारते तो दुनिया की नज़र में आ जाते, इसलिए हमारी ख़बर छाप दी”
- “दुनिया में पत्रकार वो अकेला शख्स है… जो पुलिस और वकील दोनों से रिश्वत लेता है”
- “कुछ लोग इतने मासूम होते है… कि शराब पीने के लिए भी पार्टी दफ्तर का रुख़ करते हैं”
- “मेरा मतलब उस भोली-भाली नस्ल से है… जो ये समझती है कि पत्रकार विश्वविद्यालय में पढ़कर पत्रकार बनें हैं”
- “इस ज़माने में रिपोर्टिंग इस तरह की जाती है जैसे एक ज़माने में शादी होती थी… सिर्फ शक्ल देखकर कि नेता कौन सी पार्टी का है”
- “सिर्फ 99 प्रतिशत पत्रकारों की वजह से बाकी 1% प्रतिशत भी बदनाम हैं”
- “पत्रकार जो कुछ पार्टी फंड से लेते है… उससे कहीं ज़्यादा लौटा देते हैं”
- “महात्मा गांधी की सबसे बड़ी खराबी यह है कि वह हर 10 साल में पत्रकारों द्वारा प्रचारित सच से मिलती जुलती हैं, बाकी सब किताबें तो झूटी हैं।”
नीचे अपने कमेंट्स से ज़रूर बताए कि यह व्यंग्य श्रृंखला आपको किसी लगी, आप चाहें तो इसे आगे फारवर्ड भी कर सकते हैं
अमीर हाशमी
amirhashmi.in
शुक्रिया
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Satik vyang
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✍️😎✌️
Kya baat hai sir…👍👍
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