मेरी समीक्षा में यह डॉ. रमन सिंह का डर है जो मोदी जी को छत्तीसगढ़ की तरफ से डरा रहा है, 2015 में रमन सिंह का अपने नाम से कैम्पेन चलाना और मोदी ब्रांड के इस्तेमाल किये बिना रिकार्ड मतों से राज्य में जीतना मोदी जी को पच नहीं पा रहा है। आडवाणी जी के करीबी डॉ. रमन वो पहले व्यक्ति है जो मोदी की बराबरी या कुशलता में उनसे ऊपर हैं।
हंस (HANS SURVEY 2014) के अनुसार मोदी जी कुशल मुख्यमंत्रीयों की लिस्ट में 7 नंबर जबकी डॉ. रमन सिंह 3 नंबर पर थे, अधिकारियों और लालफीताशाही अफसरों से कैसे काम लिया जाता है डॉ. रमन को बखूबी आता है जबकि BJP में अंदर से सब जानते है कि मोदी जी अफसरों पर लगाम कसने में फेल रहें हैं, विधानसभा सीटों में रमन की नहीं चल सकी यहां तक उन्हें खुलकर काम करने ही नहीं दिया गया, डॉ. रमन को फेल घोषित करने की यह भी एक कवायद है कि लगातार 3 से 5 बार लगातार जीते हुए सांसदों की टिकट काटी जा रही है।
सौ बात कि एक बात यह, कि डॉ. रमन सिंह, माननीय प्रधानमंत्री श्री श्री मोदी जी से कहीं ज़्यादा कुशल शासक हैं जिसका डर मोदी जी को सता रहा है कि कहीं असमंजस कि संध परिवार डॉ. रमन के दरवाजे प्रधानमंत्री की कुर्सी लेकर ना पहुँच जाए। वैसे भी राहुल का गढ़बन्धन नहीं करने का यह भी एंगल नज़र आ रहा है कि कांग्रेस को अंदर ही अंदर अपनी क्लीयर मेजोरिटी मिलने की स्थिति बनती दिख रही है। ऐसे में देश में चमकता हुआ कोई भी चेहरा बाहर आता हुआ दिखा तो 2013 में जिस तरह आडवाणी को साईड लाइन किया गया था, उस स्थिति में अब मोदी जा सकते है। इसलिए ख़ुदको कमज़ोर साबित करने से बेहतर भा.ज.पा. के विकल्प चेहरों को ही कमजोर करने में ज़्यादा ध्यान दिया जा रहा है।
स्वतंत्र समीक्षा
अमीर हाशमी