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Live with Filmmaker Sriram Dalton & Smt. Megha Sriram Dalton, Talking about his upcoming film #SpringThunder
From the Wall of Sriram Dalton
मेरे प्यारे दोस्तों,
यही है वो फिल्म जिसके पीछे घर-परिवार, नाते-रिश्तेदार, दोस्त-यार पीछले पांच साल से लगे हुए थे। अब ये तैयार है। 2014, 14 मार्च को कूल जमापूँजी (पत्नी, बच्चे और 45 दोस्त) लेकर हम अपने गांव की तरह रूख किए थे। 16 साल फिल्म इंडस्ट्री मे 7 फिल्मों में अपने गुरु Late Ashok Mehata के साथ No Entry, Kisna, Family, God Tusi Great ho, Waqt, और Meridian जैसे मेनस्ट्रीम की फिल्मों में काम करके जब मैं फिल्म इंडस्ट्री में अनुभवी टेक्नीशियन के बतौर काम करने के लिए तैयार था तब, गुरूजी ने अचानक एक दिन मुझसे कहा कि फिल्म डायरेक्ट करो पर मैं तैयार नहीं था, मतलब तैयारी चाहिए था। दोस्त-यारों से सलाह लिया तो सबने कहा कि डायरेक्शन को ABC से समझना होगा। किसी को असिस्ट करना होगा। मतलब फिर से खूब समय देना होगा। हालांकि मुझे ये बात कुछ पल्ले नहीं पडी। ये मेरे सोच-समझदारी पर खुद से सवाल था।
मैं फिर भी तैयार था, बात किसी को असिस्ट करने की आई तो जेहन मे केवल एक नाम था #शेखर_कपूर
कारण था “#बैंडिट_क्वीन”। और कई सालों से सुन रहा था कि शेखर कपूर “#पानी” पर फिल्म बनाने वाले हैं। तो मैं इंतजार कर रहा था। तब मुझे ये बात बहुत फैसीनेट करती थी कि कोई आदमी “पानी” जैसे मुद्दे पर फिल्म कैसे बना सकता है!
बहरहाल, इंतजार फ्रस्ट्रेशन मे बदलता चला गया और एक दिन उतावलेपन मे शेखर जी के वॉल पर पानी फिल्म नहीं शुरू करने के एवज मे कुछ उटपटांग बोल गया, दस मिनट के अंदर ब्लॉक। 6 महिने तक माफी मागते रहने के बाद उन्होंने शायद माफ कर दिया। मतलब अनब्लॉक।।। लेकिन समय आगे बढ चुका था। मैने अपनी तैयारी शुरू कर दी थी। एक दिन मैंने अपने दोस्त #नवाज़ को एक छोटीसी कहानी सुनाई- #Op_Stop_Smelling_Your_Socks कि, खुद को टेस्ट कर पाउं। उसने कहानी और उसका ट्रिटमेंट बहुत पसंद किया और ये फिल्म 2008 मे बनी, जिसे करने के दौरान मैंने खुद से ही एडिटिंग भी सीखा और लोगों ने फिल्म को खुब पसंद किया।
चूंकि मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं खुद डायरेक्ट करूंगा। मैने कभी कहानियां भी नहीं लिखी थी। कभी इस लिहाज से जीवन में सोचा भी नहीं था। और जब ठहरकर खूब सोचा तो रियलाइज किया कि मेरे जीवन मे कई महत्वपूर्ण कहानियां हैं। जिनको मैंने बहुत करीब से देखा है और मैं एकदम से बॉलीवुड फिल्मों के लिए नहीं बना। क्यूंकि जीवन पूरा गांव में बीता था।
बात कहानी के चयन की आइ तो मैने अपने गांव, अपनी मिट्टी की ही कहानी चुनीं। और #चाचु (गुरूजी) को कहानी बहुत पसंद आई। उन्होंने तय किया कि मुझे कहीं भटकना नहीं है, वो खुद करेंगे प्रोड्यूस।
मै खुश।
तैयारी शुरू।
पर चंद महीनों के बाद चाचु का देहांत हो गया…
रास्ते बंद।
अब मैं क्या करूं कि मैं जंगल-पहाड़ का आदमी हूँ! बाजार को कहानी तो जबर लगी पर पैसा लगाए कौन! तब नवाज़ ने चाहा था कि ये फिल्म शुरू हो पर, नवाज़ को तब #बाजार नहीं जानता था।
एक दिन सभी संगी-साथियों को लेकर हमने काम शुरू कर दिया। कहानी जब कागज से उतरकर #ज़मीन पर पहूंची और झारखंड मे #आदिवासियों_के_संघर्ष को करीब से देखा-समझा तो मैंने रियलाइज किया कि कोई नहीं है सुनने वाला। और ऐसे दौड़-भागकर काम भी नहीं चलेगा, समय थोड़ा लंबा जाएगा।
2015 मे फिर से पूरी टीम लेकर फिल्म का बाकी हिस्सा किया। साथ में #नेतरहाट_फिल्म_इंस्टीट्यूट की स्थापना की।
2016 मे “पानी” विषय पर फिल्म वर्कसॉप रखा और गांव-देहात के लोगों ने 13 छोटी-छोटी फिल्में बनाई।
2017 मे “जंगल” विषय पर फिल्म वर्कसॉप रखा और 6 लघु फिल्में और एक फूल लेंथ सबने मिलकर बनाईं।
2018 #ज़मीन ही विषय था जिसको अपने पैर से नापना शुरू किया है।
……लिखना आगे भी जारी रखुंगा।
फिलहाल.. मेरे प्यारे 5000 दोस्तों,
हमारी फिल्म को आपका #समर्थन (लाईक) चाहिए ताकि हमसभी तमाम खबरों से जुडे रह सकें।
धन्यवाद।
Faith is a decision 🙏
Spring Thunder film by Sriram Dalton.