अमीर हाशमी; मैं तीन बातें कहूँगा…
इतिहास, अभिव्यक्ति की आज़ादी और पद्मावत फ़िल्म के नाम पर तोड़ फोड़ के परिपेक्ष में.
पहली ये,
कि राजपूत हों, शिवाजी महाराज जी हों या गुरु गोबिंद जी महाराज इन सब शूर वीरों ने लड़ाई मुगलों के ख़िलाफ़ लड़ी थी ना कि मुसलमानों के ख़िलाफ़, इसलिए इतिहास को लेकर कोई भी पक्ष किसी एक धर्म या समुदाय को लेकर तुष्टिकरण की राजनीति करने का प्रायस करता है तो यह गलत है.
दूसरी बात ये,
कि अभिव्यक्ति की आज़ादी का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आप किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचा सकते है, हमारी इंडस्ट्री स्वतंत्र रूप से कार्य करती है मगर जाने या अनजाने में अगर कोई ठेस पहुचती है तो यह अच्छी बात नहीं है, मैं ऐसी फिल्मों के विरूद्ध हूँ।
करणी सेना हो या दुनियां के किसी कोने में बैठा कोई भी व्यक्ति हो यदि उसकी माँ को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जायेगा तो कोई भी पुत्र यह बर्दाश्त नहीं कर सकता है, ऐसी फ़िल्मों का शांतिपूर्ण तरीके से विरोध किया जा सकता है ताकि सरकार सेंसर बोर्ड इत्यादि के माध्यम से यह निश्चित कर सकें कि फ़िल्म प्रासार योग्य है या नहीं है।
हाँ ये बात जरूर है कि जिन राज्यों में राजपूत वोट बैंक है वहीं इस प्रकार के विरोध ज़्यादा देखे गए है, कुछ राज्यों में माहौल शांत बना हुआ है इन सब बातों से यह भी स्पष्ट है कि कहीं ना कहीं इस फ़िल्म को लेकर राजनीति ही हो रही है।
तीसरी बात यह है कि,
राजपूत, मुसलमान और सिख समुदाय के देश प्रेम, बहादुरी और साहस के किस्सों से इतिहास भरा पड़ा है। मुँह बांधकर जिस तरह से बच्चों की बस पर और फ़िल्म थियेटरों पर कायराना हमलें और तोड़फोड़ की गयी है यह काम राजपूतों का हो ही नहीं सकता है, राजपूत सीने पर गोली खाने वाली कौम है, ऐसा काम राजपूतों ने किया है यह मीडिया कहें या कोई नेता, मैं नहीं मान सकता हूँ… निश्चित तौर पर यह शरारती तत्वों की कायराना हरकत है जिसपर मुझे पूर्ण विश्वास है कि सरकार उचित कार्यवाही करेगी.
#अमीरहाशमी
Picture Credit: Sanjay Leela Bhansali Productions