गुरू-शिष्य परम्परा है भ्रम: अमीर हाशमी

अब वो युग और शताब्दी चली गई जब एक कलाकार सालो-साल किसी गुरू के यहाँ उनकी सेवा करके ज्ञान अर्जित किया करता था। ये रूढीवादी “गुरु-शिश्य परम्परा” पुरी तरह से समाप्त हो चुकी हैं।

कलाकार की प्रारम्भिक समस्या
डाक्टर या इन्जीनियर बनने के लिए युवाओं को लगभग 26 से 30 साल तक का समय मिलता है, साथ मे सहुलियत और आर्थिक सहायता मिलती है यहां तक बैंक से भी लोन मिलता है कुल मिला कर हर तरह सुविधाएँ मिलती है पर एक कलाकार से उम्मीद की जाती है वे रातों-रात सूपरस्टार बन जाएं। आज की यूवा पीडी मे कुछ कर गुज़र जाने की चाहत तीर्व है लेकिन सही जानकारी औऱ सही मार्ग-दर्शन ना होने से एक बहुत बडा भ्रम फैला हुआ है और इसी भ्रम का फ़ायदा अलग-अलग रुप मे उठाया जाता है। आज यूवा पीडी को सबसे बडा नुकसान “गुरु शिश्य परम्परा” के नाम पर किये जाने वाले गोरख धंधे से हो रहा है। एसे गुरु शहर के छोटे-छोटे गलियों से ले कर मुंबई के 5 सितारा ऐकेडमी मे पाये जाते है। जहां फीस तो लाखों की है मगर शिक्ष की कोई मान्यता नहीं है।

अत्यन्त कुशल (हुनरमंद)
आज वर्तमान मे कला के क्षेत्र मे बहुत कुशल तथा अनुभवी कलाकारों को ही बड़ा मंच मिल पाता हैं। हर साल लगभग 2 लाख से अधिक युवा अपनी किस्मत आज़माने मुंबई जाते हैं, इन कलाकारों को भ्रमित करने के लिए एक बहुत बड़ा तंत्र बैठा हुआ है जो कि इन्हें बहुत बड़े सपने दिखाकर गुमराह करता है इसलिए कलाकारों को बहुत शोषण तथा स्ट्रगल झेलना पड़ता है, आम तौर पर 03 से 04 साल तक ये युवा किसी गैर मान्यता र्पाप्त संस्थानों से जुड़ जाते है, ऐसे में ज्यादातर छात्र जो 12वीं पास करने बाद मुंबई जाते है वे 4-5 साल के बाद बिना किसी मान्यता प्राप्त संस्थानों से स्टगल करते है, समय खराब करते है तथा शिक्ष छोड़ चुके होते है, ऐसे में वे पूर्वतः बेरोजगार तथा अशिक्षित रह जाते है और वापस आ जाते है।

शिक्षा का आधुनिक माध्यम
हजारों सालो से आ चले आ रहे परम्परागत “धरानो” के बडे-बडे उस्ताद तथा आदरणीय गुरुजन अब भारत देश की किसी ना किसी युनिवर्सिटी से जुड़ कर युनिवर्सिटी के छात्र छाओ को ज्ञान देने का काम आधुनिक सिलेबस तथा डीग्री डिप्लोमा के रूप मे दे रहे है। अत: बहुत आवश्यक है की युवा वर्ग को देश के सभी मान्यता प्राप्त संस्थाओं से अवगत कराया जाएं जिससे की कलाकारों का भविष्य मुख्य धारा से जुडा रहे तथा आपने कला के जरिए रोज़गार प्राप्त कर सके।

ताज महल बनाने से पहले इंजीनियर बनो

जिस तरह यदि कोई युवा ताज महल बनाना चाहता है तो सबसे पहले आवश्यक है कि वह शिक्ष हासिल करे और इंजीनयर बने, उसी प्रकार एक कलाकार को सुपरस्टार बनने के लिए सम्बंधित शिक्ष हासिल करनी ही होगी।

सत्य यह है कि आज कला से सम्बंधित सभी शिक्षा आधुनिक प्रारूप ले चुकी है। चाहे वो नृत्य हो या गायन, या चित्रकारी कला, इन कलओ से सम्बंधित सभी शिक्षा अब यू. जी. सी. व्दारा मान्यता र्पाप्त युनिवर्सिटी तथा मान्यता प्राप्त युनिवर्सिटी से के कॉलेजों मे दी जाती है। यहाँ तक की आज हमारे समृध्य भारत देश में ज्यादातर प्राचीन फ़ोक कला, नृत्य तथा संगीत भी आज मान्यता प्राप्त युनिवर्सिटी मे दी जाती है. तथा बड़े बड़े उस्ताद भी अब इन्हीं कॉलेज व यूनिवर्सिटी के माध्यम से शिक्षा देते है, इसलिए भ्रम से बचें व सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों द्वारा कोर्स करके शिक्षा प्राप्त करें.

#अमीरहाशमी की कलम से…

कौन है अमीर हाशमी, जानिये यहाँ से… https://wp.me/p4pbmp-T1

Published by Amir Hashmi

Amir Hashmi is an Indian Film Producer, Director, Writer, and Actor awarded the ‘Film excellence award’ by the Ministry of Information and Broadcasting, Govt. of India. Apart from being an artist, he is an outstanding speaker who hosted hundreds of inspiring workshops and campaigns amongst the youth. Awarded ‘Sangeet Visharad’ in Hindustani classical singing. He consistently promotes culture, humanity, and morality, and believes in truth and non-violence, besides being known for his environmental and patriotic initiatives.

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